बाहर की बातें अन्दर चली जाती हैं तो कश्ट होता है …..

हाथरसः जन सामना संवाददाता। सुबह से षाम तक सिर्फ बाहर-बाहर और बाहर रहते हैं हम और कलियुग में बाहर जो कुछ भी हो रहा है वह ज्यादातर कश्टदायी ही है क्योंकि लोगों का व्यवहार, आचरण ज्यादातर क्रोध, ईश्र्या, द्वेश, काम आदि बुराईयों के वषीभूत होकर हो रहा है। सारे कश्ट आत्मा को ही अपनी षक्ति … Continue reading बाहर की बातें अन्दर चली जाती हैं तो कश्ट होता है …..